हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "उसूले काफी" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الصادق علیه السلام
اِنّما الْمُؤمِنُ الّذي اِذا رَضِيَ لَمْ يُدْخِلْهُ رِضاهُ في اِثْمٍ وَ لا باطِلٍ
हज़रत इमाम जाफर सादिक अ.स. ने फरमाया:
मोमिन वह है कि जब वह खुश होता है, तो इससे यह खुशी गुनाह और गलत काम में मुब्तिला नहीं करती हैं।
उसूले काफी,भाग 3,पेंज 330